गुरुवार, 11 जुलाई 2019

गैरसैंण स्थायी राजधानी आन्दोलनकारियों की गिरफ्तारी

गैरसैंण राजधानी आन्दोलनकारियों को जेल
12 दिन की न्यायिक हिरासत
22 जुलाई को होगी अगली पेशी
मुंसिफ मजिस्ट्रेट  की अदालत में आन्दोलनकारीओं ने जमानत लेने से इंकार
आन्दोलनकारीओं की हुंकार गैरसैंण राजधानी बना कर ही लेंगे दम
प्रदेश भर से जमा हुए आन्दोलनकारी

गैरसैंण,
गैरसैंण स्थायी राजधानी की मांग को लेकर आन्दोलित आन्दोलनकारीओं पर सड़क जाम सहित 11 धाराओं में दर्ज मुकदमे की तारीख पर 35 आन्दोलनकारीओं ने जमानत लेने से इंकार कर दिया, उनका कहना था वे उत्तराखंड राज्य की स्थायी राजधानी मांग कर कोई अपराध नहीं कर रहे हैं इसलिए जेल जाने के लिए तैयार हैं।
  मुंसिफ मजिस्ट्रेट अमित भट्ट की अदालत ने 38 आन्दोलनकारियों में से उपस्थित 35 आन्दोलनकारीओं को 12 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। आन्दोलनकारीओं के अधिवक्ता के एस बिष्ट ने बताया कि आन्दोलनकारीओं ने जमानत लेने से इंकार किया और लोअर डिविजन मजिस्ट्रेट अमित भट्ट ने 35 आन्दोलनकारीओं को 12 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है।
आज प्रात: आन्दोलनकारीओं की रामलीला मैदान में हुई सभा में पूर्व निर्णय के अनुसार आन्दोलनकारीओं ने जमानत न लेने के निर्णय का ऐलान किया।
   तहसील कार्यालय में बड़ी संख्या में तैनात पुलिस कर्मियों को आन्दोलनकारीओं को जेल ले जाने के लिए भारी मसकत करनी पड़ी जब दर्जनों आन्दोलन कारी अपनी गिरफ्तारी की मांग करते हुए पुलिस वाहन के आगे बैठ गये । सी ओ पी डी जोशी, थानाध्यक्ष रवीन्द्र सिंह नेगी के नेतृत्व में पुलिस बल ने मुश्किल से घरने पर बैठे आन्दोलनकारीओं को हटाया।
  संघर्ष समिति अध्यक्ष नारायण सिंह बिष्ट की अध्यक्षता में हुई सभा को समिति केन्द्रीय अध्यक्ष चारु तिवारी, विधानसभा पूर्व उपाध्यक्ष अनुसूया प्रसाद मैखुरी, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी केंद्रीय अध्यक्ष पी सी तिवारी, भाकपा माले नेता कामरेड इन्द्रेश मैखुरी, गैरसैंण विकास प्राधिकरण पूर्व उपाध्यक्ष सुरेंद्र सिंह बिष्ट, बार संघ अध्यक्ष के एस बिष्ट, मोहित डिमरी, वीरेंद्र मिंगवाल, ब्लाक प्रमुख सुमति बिष्ट, नगर पंचायत अध्यक्ष पुष्कर सिंह रावत, कृष्णा नेगी, मनीष सुंंद्रियाल आदि ने संबोधित किया।
  व्यापार संघ के पूर्व महामंत्री धनीराम के संचालन में हुई सभा में महेश पाण्डे बागेश्वर, महेश भारद्वाज सल्ट, कुन्दन सिंह बिष्ट, किरन व गोपाल अल्मोड़ा, सत्यपाल सिंह नेगी, मोहित डिमरी, राय सिंह बिष्ट, कान्ता प्रसाद ढौंडियाल व रमेश दत्त नौटियाल रुद्रप्रयाग, मुकेश नेगी गौचर, पूर्व काबिना मंत्री राजेन्द्र भण्डारी राजेंद्र बिष्ट, सभासद मानसिंह कुंवर सिंह रावत व जगदीश टम्टा जगदीश ढ़ौडियाल, सोबन सिंह शाह, रणजीत शाह, मनवर सिंह, गोपाल दत्त पंत, मोहनराम, बृजमोहन राज, जगदीश टम्टा, मुकेश ढौंडियाल सहित कई लोग उपस्थित थे।

रविवार, 10 मार्च 2019

सुंदर गांव है सारकोट

बहुत सुंदर गांव है सारकोट
पुरुषोत्तम असनोड़ा

गांव कहीं भी हों  अच्छे लगते हैं और हम जैसे लोग जिनकी पैदाइश ही गांव में हुई है के लिए तो वे किसी स्वर्गिक अनुभूति से कम नहीं हैं।
  चमोली जिला के गैरसैंण प्रखण्ड का सबसे बड़ा गांव है सारकोट।
 लगभग 200 परिवारों यह गांव आत्म निर्भर है जहां पलायन नहीं के बराबर है।
 सारकोट में 200 साल से भी अधिक पुराना सारों का कोठा है। किसी समय उसमें अदालत चलती थी। अदालत कक्ष, सुरक्षा कर्मियों के, जेल, घुड़साल आदि के अवशेष अब भी हैं।
  भराड़ीसैंण विधानसभा के निकट के गांव सारकोट को होम स्टे योजना में लिया गया है।

गंगा असनोड़ा थपलियाल -पग पग पर संघर्ष कर बना रही राह

गंगा असनोडा थपलियाल! -- जीवन में पग पग पर संघर्षों से सामना, हौंसला कभी नहीं डिगा। आज लाखों बेटियों के लिए है प्रेरणास्रोत।
(नवरात्रि विशेष - किस्त - 3)
ग्राउंड जीरो से संजय चौहान।
परसों से नवरात्रि प्रराम्भ हो गये है। नवरात्रि का अर्थ होता है 'नौ रातें'। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, शक्ति / देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। लीजिए ग्राउंड जीरो से नवरात्रि विशेष के तहत 9 दिनों तक आपको उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों से 9 ऐसी देवी तुल्य महिलाओं से रूबरू करवाते हैं जिन्होंने अपने कार्यों,  संघर्षों और जिजीवाषा से एक मिशाल पेश की है। नवरात्रि के तीसरे दिन प्रस्तुत है पहाड़ की उस बेटी की दास्तान जिसके हिस्से खुशियाँ कम, दुःख ज्यादा आये। लेकिन उसने कभी भी हार नहीं मानी। बल्कि हालतों से लड़ी और जीवनदायनी गंगा की तरह अपने कार्य में और मजबूती से जुट गयी। उस बहादुर बेटी का नाम है पत्रकार गंगा असनोडा थपलियाल।

पहाड़ की आवाम और शहीदों के सपनों की राजधानी गैरसैण में वरिष्ठ पत्रकार पुरूषोत्तम असनोडा जी की पुत्री है गंगा असनोडा थपलियाल। जिनका जन्म वैसे तो अल्मोडा जनपद के रानीखेत तहसील के फयाट नोला गाँव में हुआ था, लेकिन परवरिश से लेकर पढ़ाई लिखाई गैरसैण मे ही हुई। इस दौरान वे अहमदाबाद में भी रही। 12 वीं करने के बाद गोपेश्वर महाविद्यालय से स्नातक की शिक्षा ग्रहण की। जिसके बाद पत्रकारिता में स्नातक और पत्रकारिता में स्नाक्तोतर डिग्री श्रीनगर से पूरी की। जिसके बाद दैनिक अमर उजाला में ट्रैनी पत्रकार से ब्यूरो चीफ तक की जिम्मेदारी का बखूबी निर्वहन करने के बाद अब अपने पति की विरासत मासिक पत्रिका रीजनल रिपोर्टर के संपादन की जिम्मेदारी ।

नियति नें गंगा के हिस्से खुशी कम, जख्म ज्यादा दिये, पर हौंसला कभी नहीं खोया।

-- गंगा नें पढ़ाई पूरी करने के बाद पत्रकारिता को कैरियर बनाया और बेहद संजीदगी से पत्रकारिता को ऊचांई तक ले गई। इसी दौरान श्रीनगर के प्रख्यात पत्रकार बी.शंकर थपलियाल से उनकी शादी हो गयी। शादी के 9 साल तक तो गंगा ने जो चाहा था सबकुछ मिला। लेकिन शादी के 9 साल तीन महीने बाद गंगा के हंसते खेलते परिवार को न जाने किसकी नजर लग गयी। 17 फरवरी महाशिवरात्रि का वो मनहूस दिन गंगा के हिस्से की सारी खुशियाँ छीन गया। और गंगा के ऊपर दु:खो का पहाड़ टूट पडा। एक ही दिन में पहले पति भवानी शंकर थपलियाल की आकस्मिक मृत्यु और उसके बाद ससुर उमा शंकर थपलियाल की मृत्यु से गंगा के ऊपर दु:खो का पहाड़ टूट पड़ा था। तीन महीने बाद देवर की आकस्मिक मृत्यु नें तो गंगा को झकझोर कर रख दिया था। ऐसी परिस्थितियों में कोई और होता तो वो अपना मानसिक संतुलन खो देता। लेकिन पहाड़ की इस बेटी नें अपने पति, ससुर, देवर के सपनों को पूरा करने व अपने परिवार के भविष्य के लिए आंसू तो बहाये लेकिन अपना हौंसला नहीं खोया। उसने अपने को मानसिक रूप से बेहद मजबूत कर लिया और अपने पति की विरासत मासिक पत्रिका रीजनल रिपोर्टर का बखूबी से संपादन किया। आज गंगा का जीवन संघर्ष लाखों लोगों के लिए प्रेरणास्रोत है कि चाहे कितनी विपरीत परिस्थितियों से क्यों न गुजरना पडे यदि हौंसला हो तो बड़ी सी बड़ी परेशानियों से पार पाया जा सकता है। गंगा का जीवन सबके सामने एक जीता- जागता उदाहरण है।

बाबू जी से विरासत मे मिली थी पत्रकारिता की शिक्षा। पति बनें गुरु!

गंगा असनोडा थपलियाल को अपने ही घर में अपने बाबूजी वरिष्ठ पत्रकार पुरूषोत्तम असनोडा जी से पत्रकारिता का कहखरा सीखने को मिला था जबकि पति स्व. बी.शंकर थपलियाल नें एक गुरु की भांति गंगा को पत्रकारिता की बारिकीयां सिखाई थी जिसकी परिणति ये हुई की गंगा की लेखनी का हर कोई मुरीद है।

पत्रकारिता को व्यवसाय नहीं बल्कि मिशन बनाया।

पत्रकारिता की डिग्री के बाद गंगा चाहती तो इसे व्यवसाय का रास्ता बनाती लेकिन पिताजी के आदर्श और पति की सीख नें गंगा को हमेशा पत्रकारिता धर्म निभाने की सीख दी। तभी तो छुट्टी के दिन भी एक खबर भेजने के लिए अपने पति के सवाल -- ये है जुनुनी पत्रकार-- पर तपाक से जबाब दिया की--
ये जुनून तब पूरा होगा, जब ये खबर छपेगी
और छपेगी तब जब ये समय पर पहुंचेगी
वहीं दूसरा वाक्या केदारनाथ आपदा के दौरान खबर के लिए एक गर्भवती महिला (विधवा) के प्रसव के समय तब तक अस्पताल में मौजूद रही जब तक उसकी डिलीवरी न हो जाती।
उक्त दोनों घटनाएँ ये अहसास कराती है कि गंगा पत्रकारिता के लिए कितनी समर्पित है। और आज भी हर महीने रीजनल रिपोर्टर के लिए खबरों को लेकर ये समर्पण देखा जा सकता है।

माधुरी में छपी 'मृत्तिका' कहानी के बाद पत्रकारिता में लिया एडमिशन।

गोपेश्वर महाविद्यालय मे स्नातक में पढ़ाई के दौरान विद्यालय की वार्षिक पत्रिका माधुरी में छपी 'मृत्तिका' कहानी पर पहले हिंदी के प्रोफेसर धीरेंद्र नाथ तिवारी और बाद में बाबू जी (पुरूषोत्तम असनोडा जी) से मिली सराहना के बाद ही गंगा को श्रीनगर में पत्रकारिता में एडमिशन मिला।

जनआंदोलनो की हिमायती व कवि सम्मेलनों में शिरकत।

गंगा ने बचपन से ही जनआंदोलनो को बेहद करीब से देखा है। साथ ही पहाड़ की विषम भौगोलिक परिस्थितियों से भी सामना करना पडा। इसलिए जब भी जनआंदोलनो की सुगबुगाहट महसूस होती है तो गंगा सबसे अग्रिम कतार में खड़ी रहती है। वहीं गंगा एक कवियत्री भी है जिन्हें आप कवि सम्मेलनों में कविता पाठ करते हुये देख सकते हैं।

एक गंगा हिमालय से निकलती है और बंगाल की खाड़ी तक अपने 2525 किमी के सफर में लाखों लोगों के लिए वरदान बन जाती है। एक गंगा मेरे पहाड़ की वो बेटी है जो आज लाखों लोगों के लिए प्रेरणास्रोत है। वास्तव मे देखा जाय तो गंगा असनोडा थपलियाल नें बेहद संघर्षों के उपरांत अपना मुकाम तय किया है। गंगा उन लोगों के लिए प्रेरणास्रोत है जो जीवन मे थोड़ी सी कठिनाइयों पर हार मान लेते हैं। परसों से शरदीय नवरात्रि प्रराम्भ हो गये है। नवरात्रि के तीसरे दिन ये आलेख पहाड़ की बेटी गंगा असनोडा थपलियाल को उनके संघर्षों, जिजीवाषा और बुलंद हौंसलो को एक छोटी सी भेंट ...

हजारों हजार सैल्यूट बैणी आपके संघर्षों को...
(पत्रकार संजय चौहान ने नवरात्र पर उत्तराखंड की नव दुर्गा की प्रतीक महिलाओं पर आलेख लिखा, गंगा असनोड़ा थपलियाल पर नवरात्र की तीसरी कड़ी रही।)

उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव 11अप्रैल को

उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव 11अप्रैल को, 11अप्रैल से 19 मई तक सात चरणों में चुनाव। आचार संहिता लागू।
23 मई को होगी मतगणना।

पत्रकारिता में विशिष्ट योगदान के लिए रीजनल रिपोर्टर की कार्यकारी संपादक गंगा असनोड़ा थपलियाल सम्मानित

अंर्तराष्ट्रीय महिला दिवस
सेवा इण्टरनेशनल ने विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान के लिए 16 महिलाओं को किया सम्मानित
पत्रकारिता में विशिष्ट योगदान के लिए रीजनल रिपोर्टर की कार्यकारी संपादक गंगा असनोड़ा थपलियाल म्मा


नित
गौचर:
       नई सोच नई पहल के तहत नगर क्षेत्र गौचर में सेवा इंटरनेशल के तत्वावधान में आयोजित अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ मनाया। फ्यूंली कौथिग सम्मान समारोह में कार्यक्रम प्रबंधक अभिषेक कुमार ने संस्थान की ओर से जानकारी दी।
   क्षकार्यक्रम में जनपद रुद्रप्रयाग व चमोली के विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिलाओं व बालिकाओं को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ उत्तराखंड महिला आयोग आयोग अध्यक्ष विजया बड़थ्वाल, सेवा इंटरनेशनल की न्यासी डॉ.अलका माडके की ओर से की गई। इस वर्ष संस्था द्वारा रूद्रप्रयाग व चमोली जनपद में शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाली पूर्व प्रधानाचार्य सावित्री फोनिया, कला के क्षेत्र में आरती गुसाई व तमन्ना, खेल में प्रेरणा व भारती, उद्यमिता में बिनया देवी, सुषमिता बिष्ट, स्वास्थ्य में कुंती रावत, कस्तुरा देवी, नेतृत्व में रमा भंडारी, पर्यावरण में राजेश्वरी देवी, पत्रकारिता में  रीजनल रिपोर्टर की कार्यकारी संपादक गंगा असनोड़ा थपलियाल, साहस एवं वीरता में वंदना पंवार मिंगवाल तथा साहित्य में उपासना सेमवाल को शॉल, प्रशस्ति पत्र व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।
      कार्यक्रम में बदरी केदार मंदिर समिति अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल, पालिका अध्यक्ष गौचर अंजू बिष्ट, मंदिर समिति सदस्य अरूण मैठाणी, रणवीर चौधरी, नवीन टाकुली सहित कमल भंडारी, दिनेश बिष्ट, प्रकाश शैली, सुनील कुमार, साधना, अनुराधा, आंचल, राजेश्वरी कठैत, अंकिता, जयंती आदि महिलाएं मौजूद थी।

शनिवार, 9 मार्च 2019

जनता की राजधानी गैरसैंण

उत्तराखंड के जनता की राजधानी गैरसैंण है ही इतना सुन्दर।
नगर पंचायत वार्ड 2 गैड़ से एक नजर-

शुक्रवार, 8 मार्च 2019

अंर्तराष्ट्रीय महिला दिवस , पहाड़ की बेटियों ने लिखी नई इबारत

प्रेरणास्रोत!-- पहाड़ की इन बेटियों के पहाड़ जैसे बुलंद हौंसलो नें लिखी नई इबादत, दिखलाई नयी राहें!
(महिला दिवस विशेष)

   ग्राउंड जीरो से संजय चौहान!

     
आज महिला दिवस है। लीजिए आज आपको रूबरू करवाते हैं पहाड़ की ऐसी बेटियों से जिन्होंने अपने मेहनत और बुलंद हौंसलो से एक नयी कहानी गढ़ी है। और अपना मुकाम खुद हासिल किया है। वही आज हजारों लोगों के लिए प्रेरणास्रोत हैं।

'अफसर बिटिया' त्रिप्ति भट्ट! -- बेहद कम समय में अपनी कार्यशैली से प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश को प्रभावित करने वाली आईपीएस अफसर बिटिया त्रिप्ति भट्ट जो वर्तमान में पुलिस अधीक्षक चमोली के पद पर कार्यरत हैं। चमोली में 11 महीने के अपने कार्यकाल में उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई है। अपनी कार्यशैली से उन्होंने जनपदवाशियों का दिल जीत लिया है। इस दौरान उन्होंने न केवल अपराधों पर अंकुश लगाया अपितु जागरूकता अभियान भी चलाया। पुलिस चौपाल, वरचुअल थाना, फ्रस्ट रिस्पोंडिग यूनिट, सहित कई अभियानों की शुरुआत कर नयी मिशाल पेश की। पहाड़ की अफसर बिटिया त्रिप्ति भट्ट हजारों लोगों के लिए प्रेरणास्रोत है।

गंगा असनोडा! - एक गंगा जिसे नदी का दर्जा हाशिल है। गोमुख से गंगा सागर तक अपने 2525 किमी के सफर में लाखों लोगों के लिए आजिविका का बंदोबस्त करती है। देश की आधी आबादी की जीवनरेखा है ये गंगा। वहीं दूसरी ओर पहाड़ की एक बेटी है गंगा असनोडा थपलियाल जो वर्तमान मे रीजनल रिपोर्टर हिंदी मासिक पत्रिका की संपादक हैं। अमर उजाला से लेकर रीजनल रिपोर्टर तक उन्होंने जनसरोकारो की पत्रकारिता को नया मुकाम दिया। जीवन में दुःखों के ऐसे पहाड़ से सामना हुआ कि अक्सर ऐसे घटनाओं के बाद लोग बिखर जाते हैं बुरी तरह टूट जाते हैं। लेकिन गंगा असनोडा नें जिस बहादुरी और जीवटता के साथ न केवल विपरीत परिस्थितियों से सामना किया बल्कि रिजनल रिपोर्टर पत्रिका का सीमित संसाधनों के बाद भी सफल संचालन किया। गंगा नें पहाड़ की बेटियों के लिए उदाहरण पेश किया की जीवन में बुलंद हौंसलो से अपना मुकाम खुद बनाया जा सकता है। और बेटियाँ दरांती की जगह कलम आखर से नया सबेरा लिख सकती है।

डॉ कविता भट्ट! --- हे.न.ब.गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर (गढ़वाल) में कार्यरत डाॅ कविता भट्ट आज साहित्य के क्षेत्र मे अपनी चमक बिखेरे हुये हैं। वे वर्तमान मे उन्मेष, ज्ञान-विज्ञान विचार संगठन, भारत की महासचिव हैं जबकि हिन्दी चेतना” (हिन्दी त्रैमासिक) की भारत की प्रतिनिधि है। वहीं कनाडा यू एस ए से प्रकाशित हिंदी साहित्य की अंतरराष्ट्रीय पैरिक "हिंदी चेतना" प्रतिनिधि रह चुकी हैं, तथा  संपादन मंडल की सदस्या के रूप में कार्य कर रही हैं। इनकी छ: पुस्तकें घेरंड संहिता में षटकर्म, योगाभ्यास और योग, योग परम्परा में प्रत्याहार, योग दर्शन में प्रत्याहार द्वारा मनोचिकित्सा, योग के सैद्धांतिक एवं क्रियात्मक पक्ष, सूर्य (ज्ञान-विज्ञान), चन्द्रमा (ज्ञान-विज्ञान), दो काव्य संग्रह आज ये मन, मन के कागज़ पर प्रकाशित हो चुकी हैं जबकि ऑनलाइन कविताएँ- हिंदी साहित्य के विश्वकोश उपलब्ध हैं। दर्शनशास्त्र, योग, अंग्रेजी, समाजकार्य में स्नाक्तोतर, नेट, पीएचडी की उच्च शिक्षा प्राप्त डाॅ कविता भट्ट आज पहाड़ की बेटियों के लिए प्रेरणास्रोत है कि पहाड़ की बेटियाँ केवल लकड़ी लेने और घास काटने तक सीमित नहीं हैं। वे चाहे तो अपनी मंजिल खुद बना सकती हैं।

मानसी नेगी!--  खेलो इंडिया स्कूल खेलो में तीन हजार मीटर वाक रेस में गोल्ड मैडल झटकनें वाली मानसी नेगी ने पूरे देश में चमोली ही नहीं बल्कि उत्तराखंड का भी नाम रोशन किया है। मानसी की सफलता नें तो पहाड़ की बेटियों को मानो कुछ अलग करने का हौसला दिया है। पेशे से मैकेनिक मानसी के पिता लखपत सिंह नेगी की 2016 में मृत्यु हो चुकी है। मानसी की मां शकुंतला देवी गांव में ही खेती मजदूरी कर बेटी को आगे बढ़ने का हौसला देती रही। यही कारण है कि बेहद अभावों में भी उसके अंदर कुछ अलग करने का जज्बा हमेशा रहा। विपरीत परिस्थितियों में भी मानसी नें अपना हौंसला नहीं खोया। मानसी नेगी पहाड़ की बेटियों के लिए प्रेरणास्रोत है कि बेटियाँ हर क्षेत्र मे अपना परचम लहरा सकती हैं।